फिल्म सी.आई.डी. (1956) का यह गीत शहरी जिंदगी के भौतिक एवं अनुभवात्मक पक्षों का चित्रण इस प्रकार करता हैः-
ऐ दिल है मुश्किल जीना यहां
जहा हट के, जरा बच के,
ये है बॉम्बे मेरी जान।
कहीं बिल्डिंग, कहीं ट्रामें,
कहीं मोटर, कहीं मिल,
मिलता है यहां सब कुछ,
इक मिलता नहीं दिल,
इंसान का नहीं कहीं नाम ओ-निशां।
कहीं सत्ता, कहीं पत्ता,
कहीं चोरी, कहीं रेस,
कहीं डाका, कहीं फाका,
कहीं ठोकर, कहीं ठेस,
बेकारों का है क्या काम यहां!
बेघर को आवारा यहां कहते हंस-हंस,
खुद काटें गले सबके, कहें इसको बिजनेस,
इक चीज के हैं कई नाम यहां।
गीता – बुरा दुनिया वो है कहता
ऐसा भोला तू ना बन
जो है करता, वो है भरता,
है यहां का ये चलन।
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प्यारे दिल, यहां जिंदगी मुश्किल है, अगर तुम खुद को बचाना चाहते हो तो तुम्हें देखना पड़ेगा कि तुम किस रास्ते पर जा रहे हो। मेरे प्यारे यह मुंबई है। तुम्हें यहां बहुमंजिली इमारतें मिलेंगी, ट्रामें मिलेंगी, वाहन मिलेंगे, कारखाने मिलेंगे, इंसानियत भरे दिल को छोड़कर तुम्हें यहां सब कुछ मिलेगा। इंसानियत का यहां कोई नामो निशान नहीं हैं। यहां पर जो भी करें उसका कोई मतलब नहीं है। शक्ति या पैसा या चोरी या विश्वासघात ही यहां चलता है। अमीर लोग गृहविहीन लोगों की आवारा व्यक्तियों की तरह हंसी उड़ाते हैं, लेकिन जब वह एक दूसरे के गले काटते हैं, तब उसे व्यापार कहते हैं। यहां इस एक कार्य को कई नाम दिए गए हैं। (स्रोतः एनसीईआरटी)
har shahar aisa hi hota hai dost - gaurav asri
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