Tuesday, August 2, 2011

भारत में तेजी से फलफूल रहा है हेल्थकेयर का कारोबार


              हमारे देश में ‘‘हेल्थकेयर सेक्टर’ सबसे तेजी से उभरता हुआ उद्योग है। इसका अंदाजा भारतीय उद्योग चैम्बर फिक्की द्वारा जारी की गई उस रिपोर्ट से सहज ही लगाया जा सकता है, जिसमें यह कहा गया है कि ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी के बाद हेल्थकेयर सेक्टर भारत में सबसे तेजी से बूम करने वाला उद्योग है।’’ रिपोर्ट में यह भी संभावना जताई गई है कि ‘‘स्वास्थ्य सेवाओं पर 14 फीसदी सालाना की दर से किए जाने वाले खर्च के साथ 2020 तक भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर का कारोबार 280 बिलियन डॉलर का हो जाएगा।’’ 2009 में जहां हेल्थकेयर सेक्टर में जीडीपी का 5.5 फीसदी हिस्सा खर्च किया गया, वहीं 2012 तक इसे बढ़ाकर 8 फीसदी किए जाने का अनुमान है। वर्तमान में, हेल्थकेयर सेक्टर का कारोबार करीब 40 बिलियन डॉलर का है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2012 तक इस क्षेत्र का दायरा बढ़कर 78.6 बिलियन डॉलर का हो जाएगा।

भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर में आई तेजी की मुख्य वजह लोगों की आय में हुई वृद्धि के साथ-साथ लंबे समय तक जीवन प्रत्याशा, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में किए जाने वाले खर्चों में बढ़ोतरी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा बड़े पैमाने पर किए जाने वाले निवेश को माना जा रहा है।

फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार भारत हेल्थकेयर सेक्टर में जीडीपी का 5.2 फीसदी हिस्सा खर्च करता है, जिसमें से 4.3 फीसदी निजी प्रदाताओं द्वारा खर्च किया जाता है। इस रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2012 तक हेल्थकेयर सेक्टर में निजी प्रदाताओं द्वारा किए जाने वाले खर्च का दायरा बढ़कर 45 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा, इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 2012 तक हॉस्पिटल सेक्टर, जोकि हेल्थकेयर सेक्टर के कुल कमाई का 70 फीसदी से अधिक की उगाही करता है, अकेले 54.7 बिलियन डॉलर के कारोबार तक पहुंच जाएगा। अगर हम रोजगार की बात करें तो, एक अनुमान के मुताबिक हेल्थकेयर सेक्टर 2012 तक 9 मिलियन की आबादी को रोजगार मुहैया कराएगा।

पिछले दो साल के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला है। एक ओर जहां देश की जानी-मानी कंपनियां हेल्थकेयर सेक्टर में विस्तार योजनाओं का एलान कर रही हैं वहीं इस क्षेत्र में पहले ही प्रवेश कर चुकी दिग्गज कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश की घोषणाओं को मूर्त रूप देने में जुटी हुई हैं। इस तरह के हो रहे विस्तार और निवेश की घोषणाओं से एक बात तो साफ है कि हेल्थकेयर सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधारस्तंभ बनता जा रहा है।

मालूम हो कि रिलायंस इंडस्ट्री के प्रोमोटर मुकेश अंबानी भारत में सर हरकिसनदास नरोत्तमदास हॉस्पिटल (एचएनएच) नामक विश्व स्तरीय हॉस्पिटल की स्थापना कर रहे हैं। यह हॉस्पिटल रिलायंस फाउंडेशन के अंतर्गत बनाया जा रहा है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इसे अगले दो साल के अंदर शुरू कर दिया जाएगा। यह हॉस्पिटल पूरी तरह एकीकृत नवीन तकनीकों एवं उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं से लैस होगा। हालांकि मुकेश अंबानी के छोटे भाई, अनिल अंबानी इस सेक्टर में पहले ही प्रवेश कर चुके हैं। अनिल अंबानी द्वारा मुंबई में कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना किया गया है। 750 बिस्तरों वाला यह टर्टियरी केयर हॉस्पिटल देश के सबसे बड़े हॉस्पिटलों में से एक है।

वर्तमान में, तेजी से फलफूल रहे हेल्थकेयर सेक्टर पर अंबानी भाइयों के अलावा देश की कई जानी-मानी कंपनियां भी अपनी नजरें गराई हुई हैं, जिसमें मुख्य रूप से हिन्दुजा, सहारा ग्रुप, इमामी, अपोलो टायर्स और पनासिया ग्रुप शामिल हैं। हालांकि इन नामचीन कंपनियों के द्वारा इस सेक्टर में प्रवेश करने के पीछे कई पर्याप्त कारण गिनाए जा सकते हैं। फिक्की और अर्नेस्ट एंड यंग द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 2025 के अंत तक देश में स्वास्थ्य सेवा उपभोक्ताओं के लिए 1.75 मिलियन अतिरिक्त हॉस्पिटल बिस्तरों की आवश्यकता पड़ेगी और साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर का योगदान 15-20 फीसदी का होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को 2025 तक हेल्थकेयर सेक्टर में लगभग 86 बिलियन डॉलर निवेश करने की आवश्यकता होगी। वर्तमान में, भारत में प्रति एक लाख आबादी पर केवल 860 हॉस्पिटल बिस्तर ही उपलब्ध है।

सुब्रतो रॉय की नेतृत्व वाली सहारा समूह भी इस सेक्टर में अपने कदम बढ़ा चुकी है। इस समूह के पास पहले से ही कई हॉस्पिटल मौजूद है। इस समूह ने एम्बी वैली सिटी में 1,500 बिस्तरों वाला एक मल्टी सुपर-स्पेशियलिटी टर्टियरी केयर हॉस्पिटल, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 200 बिस्तरों वाला एक मल्टी-स्पेशियलिटी टर्टियरी केयर हॉस्पिटल और साथ ही समूह के तमाम 217 सहारा सिटी होम्स टॉउनशिप में 30 बिस्तरों वाला मल्टी-स्पेशियलिटी सेकेंडरी केयर हॉस्पिटल की स्थापना करने की योजना बनाई है। सहारा समूह के 217 हॉस्पिटलों में से पहले चरण के 88 टॉउनशिपों में से नौ हॉस्पिटलों को जल्द ही अहमदाबाद, औरंगाबाद, कोयम्बटूर, इंदौर, ग्वालियर, जयपुर, लखनऊ, नागपुर और सोलापुर में शुरू किया जाएगा। इन सभी परियोजनाओं को अस्तित्व में लाने के लिए सहारा समूह को करीब 3000-4000 करोड़ रुपये निवेश की आवश्यकता पड़ेगी।

अपोलो टायर्स समूह ने भी अपने हेल्थकेयर उद्यम, अरतिमिस हेल्थ साइंस (एएचएस) को शुरू कर इस सेक्टर में कदम रख दी है। अरतिमिस हेल्थ साइंस 260 बिस्तरों वाला एक टर्टियरी केयर सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल होगा और जिसे 260 करोड़ रुपये की निवेश के साथ गुड़गांव में स्थापित किया जा रहा है। यह समूह अगले तीन साल में उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चार से आठ मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निर्माण की योजना बना रही है। उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में गुणवत्तापूर्ण हेल्थकेयर सुविधाओं को मुहैया कराने वाली कंपनी इमामी ने भी अपने विस्तार की योजना बनाई है।

इसमें कोई शक नहीं कि शिक्षा की दर में दिनों-दिन हो रही वृद्धि ने बेहतर हेल्थकेयर मांग की जागरूकता को कई गुणा बढ़ा दिया है। हेल्थ इंश्यूरेंस संबंधी मांगों में बढ़ोतरी आखिरकार हेल्थकेयर सेक्टर को ही मजबूत कर रही है।

वर्तमान में, एक लाख बिस्तरों में से केवल 10 फीसदी का प्रबंधन ही प्राइवेट सेक्टर द्वारा किया जाता है। ऐसे समय में जब लोगों की जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हो रही है और इसके साथ ही जीवन शैली की बीमारियों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है, वैसे में हेल्थकेयर सेक्टर में निजी कंपनियों की प्रवेश की आवश्यकता तेजी से बढ़ती जा रही है।

(बिज़नेस स्टैंडर्ड-हिन्दी, मुंबई संस्करण के प्रायोजित परिशिष्ट में प्रकाशित)

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